Hindi shayari by Gopi
मै रहु या ना रहु
मै रहु या ना रहु ,
सब कुछ रहेगा।
सूरज भी उगेगा ,
चंदा भी जगेगा ,
बहता झरना तो बहेगा।
मै रहु ना रहु ,
तू तो रहेगा ,
मै जी ना सकू ,
तू तो जीयेगा ,
मेरी खुशियां
तू तो जियेगा।
मै रहु ना रहु ,
फूलो का घर ,
छोटा सा वो गांव ,
पेड़ो की वो छाँव ,
सब कुछ रहेगा।
मै रहु ना रहु ,मै रहु ना रहु ,
मैं अगरउसकी बाहों रो भी देता ,
वो पूछे मुझसे तो क्या मैं कहता।
आंखों में जो इज्जत थी उसकी
मैं अगले पल ही उसे खो देता
उसे छोड़ना है बहुत ही मुश्किल
जाते हुए फिर भी काम खामोश रहता।
मैं अगरउसकी बाहों रो भी देता ,
वो पूछे मुझसे तो क्या मैं कहता।
है यह उम्र और उम्र के रिवायत
उस पर इस उम्र की है यह मोहब्बत
रिश्तो के नाम में पैगाम देता
मगर मैं किस क्या-क्या कहता
मैं अगरउसकी बाहों रो भी देता ,
वो पूछे मुझसे तो क्या मैं कहता।