ज़िंदगी की कविता ज़िंदगी बेवफा

ज़िंदगी की कविता 

ज़िंदगी बेवफा 


जिंदगी की जिम्मेदारियां और अपनो के सपने पूरे करने के लिए ,हमें अपने प्यार का बलिदान देना पड़ता है. ना चाहते हुए भी हम प्यार जैसी नेमत  से अपने आप को दूर कर लेते हैं। जिंदगी भागदौड़ हमें इजाजत नहीं देती कि हम प्यार करें। लेकिन दिल, दिल तो किसी की नहीं सुनता। उसे तो प्यार करना है और हम उसे यह कहकर समझाते हैं। 


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कविता 
ज़िंदगी की 

ज़िंदगी बेवफा

अभी जिंदगी को इजाजत नहीं है,

 किस्मत में अपनी मोहब्बत नहीं है ,

हजारों उम्मीदों से बंधा हूं ,

अभी दिल में वह धड़कन नहीं है। 

जी करता है उम्मीदों भरी आंखों से आंखें चुरा लूं मैं ,

अपनी दुनिया कहीं ओर बसा लूं ,

मगर ऐसा मैं कर सकता नहीं ,

अभी तो मैं मौत आने पर भी मै मर  सकता नहीं हूं। 

मुझे इसकी इजाजत नहीं है, किस्मत में अपने मोहब्बत नहीं है। 


zindgi bevfa

Hindi kavita

abhi zindgi ko ijjajat nahi hai ,

kishmat me apne mohobbat nahi hai,

hazaro ummedo se bandha hua hu ,

abhi dil me vo dhadkan nahi hai.

ji karta hai ummedo bheri aakho se aakhe chura lu,

me apni duniya kahi or basa lu ,

magar me esa kar sakta nahi ,

abhi mot aane par mer bhi sakta nahi ,

mujhe is ki ijjajt nahi ,kishmat me apne mohobbat nahi


kahani


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बादल 



कभी जीने के लिए घुट घट कर मरना पड़ता है ,
यह जीवन है ना चाहते हुए सब कुछ करना पड़ता है। 
अपने आंसू छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है ,
जिसके बिना जीना पाए उसी के बिना जीना पड़ता है। 

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आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है ,
तेरे किस्से तेरी कहानी बहुत याद आई,
 बाहर भी सावन अंदर भी सावन यह क्या रुत आई ,
क्या बादल तेरे भी जज्बात हैं। 
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है। 
ना जिएंगे तेरे बिन जुबां पर तेरी बार-बार वही बात , 
रोकर  कहा था तूने वह घड़ी बहुत याद आई ,
मुकर भी गए तो क्या बात है,
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है। 

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हिंदी कविता काश 


 समय चलता रहा ,रेत की तरह हथेली से फिसलता रहा ,
तुझे मिले मुझे मिले ,सदिया बीत गयी यह दिल जलता रहा। 
ना तु हारा ना मै हारा ,सदियो में भी यह प्रेम सुलगता रहा ,
कभी यादों ने हवा दी ,यह दिल कभी बुझता रहा कभी जलता रहा। 
बालो का पक्का सा रंग ,जबाब देते ये अंग ,कुछ कहते रहे ,
अब समय नहीं बचा है  ,बुझने को है दिया जो बरसो जलता रहा। 

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