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समय मोटिवेशन कविता Samay Motivation kavita by Gopi

समय मोटिवेशन कविता   Samay Motivation kavita by Gopi

समय मोटिवेशन कविता 

Samay Motivation kavita by Gopi 


 जीवन का चक्र है ,

जीवन पलभर है ,

हम यूं ही घबराते हैं ,

हम आते हैं जाते हैं,

 ना कोई नष्ट हुआ ,

 ना कोई अनिष्ट हुआ,

 बस यूं ही रो जाते हैं ,

यूं ही खुश हो जाते हैं ,

जीवन का चक्र है। 

तू समय से भी है बड़ा ,

तुच्छ  शरीर है तेरा,

 कभी बालों पर ,

कभी रंग पर ,

हम क्यों इतना इतराते हैं। 

समय पर मोटिवेशनल कविता समय अपना सारथी।

समय पर मोटिवेशनल कविता 

समय अपना सारथी। 


 चल रहे है हम अकेले समय अपना सारथी 

जहां चाहे मोड़ देता ,जब चाहे छोड़ देता ,

समय अपना महाबली,समय अपना सारथी। 

हमने की है लाख कोशिश ज़िंदगी को मनाने की ,

टूटे हुए चंद धागे ,फिर से बनाने की ,

पर सुनता ही नहीं यह महारथी ,

समय अपना सारथी। 

समय के रथ पर सवार हु और ज़िंदगी का सफर ,

हाथ बंधे है मेरे ,समय का यह चक्र 

समय हर पल कर रहा है दिल्लगी 

समय अपना सारथी ,हार जाने पर भी मुझको 

छोड़ता है क्यों नहीं ,मुझ से द्रेष है तो ,

मुख मोड़ता है क्यों नहीं ,

मुझसे और क्या मांगता है यह रथी ,

समय अपना सारथी। 


मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। हिंदी की बेहतरीन कविता



मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। kavita

 मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

हिंदी की बेहतरीन कविता 

                                     Hindi kavita by Gopi 



मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा ,

देखना दौड़कर क्षितिज को छू आऊगा ,

 मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

कागज की नाव से सड़कों पर ,

बरसात की नदी पार कर जाऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

अभी जिंदगी के झमेले लड़ रहा हूं ,अभी अकेले ,

मैं जीत कर फिर वापस आऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

पतंग बना चांद पर जाऊंगा ,

पेड़ के नीचे बैठी बुढ़िया ,

उसका चरखा ले आऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

एक दिन फिजा में समा जाऊंगा ,

इन्हीं पेड़ों में जल जाऊंगा,

 मैं फिर से वापस फिर आऊंगा ,

फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। हिंदी की बेहतरीन कविता



Mitti Hindi kavita मिट्टी हिंदी कविता जीवन पर शानदार कविता

 Mitti Hindi kavita 

मिट्टी हिंदी कविता 

जीवन पर शानदार कविता 

पानी में पानी सा मिल जाऊंगा ,

 मैं फिजा  में हवा सा बह  जाऊंगा,

 

kavita

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा। 

मैं शरीर नहीं कुदरत हूं... 

कुदरत सा हो जाऊंगा ... 

अभी बहुत से सपने सजे हैं, मेरे अंदर 

मेरे अंदर बहुत सी शिकायत पली है ,

चांद पाने की ख्वाहिश छिपी है मेरे अंदर ,

मेरे अंदर मै खुद ही खो जाऊंगा ... 

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा। 






दुल्हन की आवाज

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जब भी कभी कोई भारतीय लड़की की शादी होती



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है ,तो उसको जो नियम सिखाये जाते है ,असल में वो उसकी कैद का फरमान होता है। उसे पता है कि परम्परा के नाम पर उसे अपने अंदर की लड़की को मारना होगा। उसकी आत्मा से यह आवाज आती होगी। 

क्या कोई बहु इंसान नहीं होती ,वो आसमान में उड़ नहीं सकती ?

क्या किसी लड़की को बहु बनने के लिए अपने वजूद को खत्म करना जरूरी है ?

क्या यह इंसाफ हे ?

 watch video clickhere

दुल्हन की आवाज 

मुझे पता है ,अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

मेरे अंदर की लड़की को जाना पड़ेगा। 

मुझे अब नजरें झुकानी  पड़ेंगी। 

 कोई सपना कोई वादा अब भूल जाना पड़ेगा। 

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

  कभी चंचलता जो जान थी। 

म वह गुस्सा जो  पहचान थी मेरी।

 अब उन्हें पोटली बांधकर नदी में डूबाना पड़ेगा। 

अब मुझे घुंघट उठाना पड़ेगा। 

सखी परिवार की तरह आंखों से बिछड़ते आंसू। 

इंतजार करता गली के बाहर वह लड़का। 

भूलना नहीं अब सब मिटाना पड़ेगा ,

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

वक़्त वक़्त की बात 

ज़िंदगी में प्यार की रुला देने वाली कविता 

यह वक़्त वक़्त की बात है 

कभी तू साथ थी मेरे 

आज तेरी याद साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है ,

कभी बाहो में था 

आज कोई और तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

कभी चूमा था तुने गालो को मेरे 

हंस के ,शर्मा के ,घबरा के 

आज नज़रे झुका के चलते हो 

यानी मेरी यादे आज भी तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

ज़िंदगी पर कविता ,zindgi par kavita,poem on life



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                                       video dekhe

       ज़िंदगी पर कविता 


 

                                   zindagi aisi hi hai ,

jeene nahin deti aur Marne bhi nahin deti .

ek pal nirasha ho to agale pal aas ka Tara timtima deti hai,

 Khush hote hain to dukhon ka pahad thama deti hai ,

jindagi aisi hi hai ,

tere hi niyamon per chalna Sikh liya ,

ab shikayat nahin jina Sikh liya ,

Na tu mujhe jitati Na harne deti,

jindagi aisi hi hai ,


 ashkon ko jameen per girne se pahle ,

wo  mujhe Hansa deti per jab bhi hansta Hun to fir rula deti ,

jindagi aisi hi hai



जिंदगी ऐसी ही है ,

जीने नहीं देती और मरने भी नहीं देती ,

एक पल निराशा हो तो अगले पल आस  का तारा टीम टीमा देती  है। 

खुश होते हैं तो दुखों का पहाड़ थमा देती।

जिंदगी ऐसी ही है ,

 तेरे ही नियमों पर चलना सीख लिया ,

अब शिकायत नहीं, जीना सीख लिया। 

ना तु  जीतने  देती ,ना हारने देती।

 अश्कों को जमीन पर गिरने से पहले वो  मुझे हंसा देती। 

पर जब भी हंसता हूं तो फिर रुला देती। 

जिंदगी ऐसी है जीने नहीं देती। 

जन गण मन क्या है। Jana-gana-mana,राष्ट्रीय गान

जन गण मन क्या है। 


जन गण मन हमारे देश का राष्ट्रीय गान है।  जिसे 27 दिसंबर 1911 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन कोलकाता में गाया गया। इसके रचीयता श्री रविंद्र नाथ टैगोर थे ,जिन्होंने बांग्ला में इस गीत को लिखा था और तत्कालीन बांग्ला मैगजीन में छपा था। 

समय 

इसमें कुछ बदलाव भी किया गया ,मूल रूप से यह बंगाली गान  था। शुरुआत में यह 20 सेकंड का गीत था। बाद में इसे  52 सेकंड का गीत बनाया गया। यानी हमारे राष्ट्रगान को गाने  में 52 सेकेड ही लगते हैं। 

सुनने के नियम 

यह गीत देश की पहचान है। हमें इस गीत का सम्मान करते हुए, यदि यह कहीं बज रहा है या गाया जा रहा है ,तो सावधान खड़े होना चाहिए। इस तरह हम केवल एक गीत को नहीं अपने देश को सम्मान देते हैं यह राष्ट्रीय पहचान हैं।  आप इसे जरूर गुनगुनाए, आप इस पर गर्व करेंगे। 


National Anthem

 जन गण मन लिरिक्स हिंदी में 


 जन गण मन अधिनायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता।

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,

द्राविड़ उत्कल बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,

उच्छल जलधि तरंग

तब शुभ नामे जागे,

तब शुभ आशिष मांगे

गाहे तब जय गाथा।

जन गण मन क्या है। Jana-gana-mana,राष्ट्रीय गान

जन गण मंगलदायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता।

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे॥



Title: Jana Gana Mana


 by Rabindranath Tagore


Lyrics by: Rabindranath Tagore


Raga: Alhiya Bilawal


Written on: December 11, 1911


First sung on: December 27, 1911


Jana-gana-mana lyrics इन English 


Jana-gana-mana-adhinayaka, jaya he


Bharata-bhagya-vidhata.


Punjab-Sindh-Gujarat-Maratha 


Dravida-Utkala-Banga


Vindhya-Himachala-Yamuna-Ganga 


Uchchala-Jaladhi-taranga.


Tava shubha name jage, 


Tava shubha asisa mage, 


Gahe tava jaya gatha, 


Jana-gana-mangala-dayaka jaya he 


Bharata-bhagya-vidhata.


Jaya he, jaya he, jaya he, Jaya jaya jaya, jaya he! 


Ram

Ram

 

Ram

Hindi kavita

राम एक नाम ही तो है 

ले लो या ना लो ,

राम एक विश्वास है ,
हां कहो या ना कहो ,
राम जीने का बहाना है ,

जीओ या ना जीओ ,
राम के पास जाना है ,
चाहो या ना चाहो ,
तुम खुद ही राम हो ,
कभी अंदर झांको ,
तुम खुद भगवान हो ,
देखो दर्पण में ,
अपने नाम से क्या भागना ,
एक नाम ही तो है। 
राम ही तो है।  

Ram ek naam hi to hai,
le lo ya na lo
Ram ek vishwas hai,
ha kho ya naa kho
Ram jeene ka bahana hai,
jeeo naa jeeo
Ram ke pass hi jana hai ,
chaho naa chaho
tum khud hi Ram ho,
apne under chako
tum khud hi bhagwan ho,
darpan me dekho
apne naam se kya bhagna,
ek naam hi to hai
Ram hi to hai.