मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
मिर्जा गालिब या उर्दू शायरी शायद एक ही नाम है ,जी हां 27 दिसंबर 1796 में जन्मे मिर्जा अतउल्ला खान जिनका नाम गालिब मशहूर हुआ, वह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बहुत मशहूर है। यह कह जाना भी गलत नहीं है की उर्दू शायरी उनके बिना पूरी नहीं है, उन्होंने बचपन से शायरी लिखना शुरू किया था और वह दिल्ली के आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दरबार में दरबारी कवि भी रहे।
बहादुर शाह जफर जो शायरी की कद्र करते थे। वह गालिब का बहुत सम्मान करते थे।
गालिब की लिखी हुई शायरी और उनके पत्र आज भी हमारे वर्तमान समय में भी बहुत प्रैक्टिकल है और बहुत लोकप्रिय हैं। लोग इनको उनकी शायरी को सुनना पसंद करते हैं। उन्होंने शायरी या उर्दू शायरी को जो मुकाम दिलाया ,उसी की बदौलत आज पूरी दुनिया जिन्हें हिंदी उर्दू का ज्ञान है ,शायरी और कविता के दीवानो से भरी पडी हैं।
मिर्जा गालिब कि कहीं भी गजलें शेरो शायरी सुनने का और पढ़ने का आनंद ही कुछ और है। इसलिए आपके लिए उनकी चंद शेर इस ब्लॉक में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ताकि आप उन्हें और शेयर करें अपनों को अपने दोस्तों को share करे और शायरी की दुनिया में खो जाए।