Hindi kavita by Gopi.
आंखों को बरसने दो
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है ,
तेरे किस्से तेरी कहानी बहुत याद आई,
बाहर भी सावन अंदर भी सावन यह क्या रुत आई ,
क्या बादल तेरे भी जज्बात हैं।
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है।
ना जिएंगे तेरे बिन जुबां पर तेरी बार-बार वही बात ,
रोकर कहा था तूने वह घड़ी बहुत याद आई ,
मुकर भी गए तो क्या बात है,
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है।
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