दुल्हन की आवाज

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जब भी कभी कोई भारतीय लड़की की शादी होती



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है ,तो उसको जो नियम सिखाये जाते है ,असल में वो उसकी कैद का फरमान होता है। उसे पता है कि परम्परा के नाम पर उसे अपने अंदर की लड़की को मारना होगा। उसकी आत्मा से यह आवाज आती होगी। 

क्या कोई बहु इंसान नहीं होती ,वो आसमान में उड़ नहीं सकती ?

क्या किसी लड़की को बहु बनने के लिए अपने वजूद को खत्म करना जरूरी है ?

क्या यह इंसाफ हे ?

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दुल्हन की आवाज 

मुझे पता है ,अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

मेरे अंदर की लड़की को जाना पड़ेगा। 

मुझे अब नजरें झुकानी  पड़ेंगी। 

 कोई सपना कोई वादा अब भूल जाना पड़ेगा। 

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

  कभी चंचलता जो जान थी। 

म वह गुस्सा जो  पहचान थी मेरी।

 अब उन्हें पोटली बांधकर नदी में डूबाना पड़ेगा। 

अब मुझे घुंघट उठाना पड़ेगा। 

सखी परिवार की तरह आंखों से बिछड़ते आंसू। 

इंतजार करता गली के बाहर वह लड़का। 

भूलना नहीं अब सब मिटाना पड़ेगा ,

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

वक़्त वक़्त की बात 

ज़िंदगी में प्यार की रुला देने वाली कविता 

यह वक़्त वक़्त की बात है 

कभी तू साथ थी मेरे 

आज तेरी याद साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है ,

कभी बाहो में था 

आज कोई और तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

कभी चूमा था तुने गालो को मेरे 

हंस के ,शर्मा के ,घबरा के 

आज नज़रे झुका के चलते हो 

यानी मेरी यादे आज भी तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

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       ज़िंदगी पर कविता 


 

                                   zindagi aisi hi hai ,

jeene nahin deti aur Marne bhi nahin deti .

ek pal nirasha ho to agale pal aas ka Tara timtima deti hai,

 Khush hote hain to dukhon ka pahad thama deti hai ,

jindagi aisi hi hai ,

tere hi niyamon per chalna Sikh liya ,

ab shikayat nahin jina Sikh liya ,

Na tu mujhe jitati Na harne deti,

jindagi aisi hi hai ,


 ashkon ko jameen per girne se pahle ,

wo  mujhe Hansa deti per jab bhi hansta Hun to fir rula deti ,

jindagi aisi hi hai



जिंदगी ऐसी ही है ,

जीने नहीं देती और मरने भी नहीं देती ,

एक पल निराशा हो तो अगले पल आस  का तारा टीम टीमा देती  है। 

खुश होते हैं तो दुखों का पहाड़ थमा देती।

जिंदगी ऐसी ही है ,

 तेरे ही नियमों पर चलना सीख लिया ,

अब शिकायत नहीं, जीना सीख लिया। 

ना तु  जीतने  देती ,ना हारने देती।

 अश्कों को जमीन पर गिरने से पहले वो  मुझे हंसा देती। 

पर जब भी हंसता हूं तो फिर रुला देती। 

जिंदगी ऐसी है जीने नहीं देती।