शायरी
कभी कभी हम शाम को उदास हो जाते है ,ना जानते हुए भी कोई याद हमे याद आते है ,वो कोण है जो हमे याद आते है। इस पर एक छोटी से कविता आप के लिए ही ,
कभी कभी
हिंदी कविता
कभी शाम को हम ,क्यों उदास हो जाते है ,डूबते सूरज हमे क्यों रुलाते है ,दिल बिना इजाजत ,किस याद को बुलाते है ,बारिश के यह नीर ,हमे क्यों जलाते है ,बहते हवा के झोके ,किस किसका संदेशा लाते है ,मुझे डुबते सुरज क्यों रुलाते है।
kabhi kabhi
hindi kavita by Gopi.
kabhi shaam ko hum,kyo udas hojaate hai ,
dubte surej hume kyo rulate hai ,
dil bina ijajt kis yaad ko bulate hai ,
baarish ke ye neer,hume kyo jalte hai,
bahte hawa ke yeh jhoke,kis kiska sandesha late hai,
mujhe dubte surej kyo rulate hai.
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