बेटी पर कविता वह रात को फिर जग गई।

बेटी पर कविताबेटी पर कविता 

वह रात को फिर जग गई। 

बड़े ही विश्वास से, बड़ी ही आस से ,

 छोटे से हाथ से ,मेरी उंगलियों को पकड़ा ,

और मेरे गले लग गई ,फिर रात हो जग गई ,

  हर डर को हरा के , हर हार को भुलाकर ,

वो  सो गई ,रात भर सपनों में हो गई ,

मैं रात भर उसको ताकता रहा ,

रात भर मुस्कुराता रहा ,  रात भर जागता रहा ,

सपने में कभी रोई  और कभी हंस गई ,

वह फिर रात को जग गई। 




दीवाली की शुभ कामनाए ,अपने लाइफ पार्टनर के लिए



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दीवाली पर कविता 
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दीवाली की शुभ कामनाए ,अपने लाइफ पार्टनर के लिए 

यह  तारे से चमकते दिए ,  

मांग के सिंगार हैं,तेरे लिए

 यह फूटते पटाखे ,

हंसी  की फुहार हैं, तेरे लिए

दीपावली की मिठाई,

 खुशी बहार है ,तेरे लिए

 हजारों ख्वाहिशें,हजारों मंजिलें ,

दिवाली पर इंतजार में है ,तेरे लिए

 बस तू ही, तू तू ही तू ,

तो है मेरे लिए, मेरे लिए। 

दीवाली त्यौहार श्री राम जी के अयोध्या वापस आने पर मनाया जाता है जब हर अयोध्यावासी ने यही तो कहा था। 

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दीवाली की कविता 

चलो राम जी का पथ  जगमगा दो ,

कुछ दिए इस पथ  पर लगा दो ,

भूल ना जाए वह घर मेरा ,

कुछ दिए  मेरे दरवाजे पर लगा दो ,

बड़ा बहुत बड़ा समय विरह का था ,

आज राम जी से समय मिलवा दो ,

शबरी सा रस, हनुमान सा भाग्य ,

मुझे भी दिलवा दो ,कुछ दिए जला दो। 


 बच्चों की दिवाली की कविता

दिवाली से सीखो ,

अंधेरे को हराना,

 दिए से सीखो ,

कर्तव्य में स्वयं जल जाना ,

मिठाई से सीखो ,

मुंह में मिठास लाना ,

बस भूल न जाना ,

दिवाली से कहना ,

तुम रोज आना ,तुम रोज आना। 


Mitti Hindi kavita मिट्टी हिंदी कविता जीवन पर शानदार कविता

 Mitti Hindi kavita 

मिट्टी हिंदी कविता 

जीवन पर शानदार कविता 

पानी में पानी सा मिल जाऊंगा ,

 मैं फिजा  में हवा सा बह  जाऊंगा,

 

kavita

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा। 

मैं शरीर नहीं कुदरत हूं... 

कुदरत सा हो जाऊंगा ... 

अभी बहुत से सपने सजे हैं, मेरे अंदर 

मेरे अंदर बहुत सी शिकायत पली है ,

चांद पाने की ख्वाहिश छिपी है मेरे अंदर ,

मेरे अंदर मै खुद ही खो जाऊंगा ... 

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा।