हिंदी कविता ,
सपना ना दे
मुझे तु अपना सपना ना दे,
सपना टूटने से डरता हूं मैं ,
कहीं कोई सपना अधूरा रह जाए,
इसलिए रातों को जगता हूं मैं ,
तेरे सपने कांच की तरह नाजुक हैं ,
संभाल लो इनको छुपा लो इन्हे ,
कहीं आंखों से छूट ना जाए ,
इसलिए मैं रातों को करवटें बदलता हूं मैं ,
मुझे तू अपना सपना ना दे।
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