समय पर मोटिवेशनल कविता समय अपना सारथी।

समय पर मोटिवेशनल कविता 

समय अपना सारथी। 


 चल रहे है हम अकेले समय अपना सारथी 

जहां चाहे मोड़ देता ,जब चाहे छोड़ देता ,

समय अपना महाबली,समय अपना सारथी। 

हमने की है लाख कोशिश ज़िंदगी को मनाने की ,

टूटे हुए चंद धागे ,फिर से बनाने की ,

पर सुनता ही नहीं यह महारथी ,

समय अपना सारथी। 

समय के रथ पर सवार हु और ज़िंदगी का सफर ,

हाथ बंधे है मेरे ,समय का यह चक्र 

समय हर पल कर रहा है दिल्लगी 

समय अपना सारथी ,हार जाने पर भी मुझको 

छोड़ता है क्यों नहीं ,मुझ से द्रेष है तो ,

मुख मोड़ता है क्यों नहीं ,

मुझसे और क्या मांगता है यह रथी ,

समय अपना सारथी। 


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