ज़िंदगी पर शानदार शायरी
मैंने जिंदगी को इस तरह बदलते देखा।
मैंने जिंदगी को इस तरह बदलते देखा।
जो ना बदले कभी उन्हें भी बदलते देखा।
अच्छे तैराको को किनारे भी खा गए।
मैंने नो नौसखियों को तूफानों से संभालते देखा।
जिंदगी के दस्तूर ,कानून ,कुछ भी नहीं।
जिंदगी की वफा और जफ़ा , कुछ भी नहीं।
कब हाथ छोड़ दे ,चलते चलते ,जिंदगी।
मैंने समुंदरों को भी जलते देखा।
मैंने जिंदगी को इस तरह बदलते देखा।
अब मौत का खौफ , कुछ भी नहीं।
अब जिंदगी का मतलब ,कुछ भी नहीं।
हर दिल अब पत्थर सा बन गया है।
पर मैंने पत्थरों को भी पिघलते देखा।
मैंने जिंदगी को इस तरह बदलते देखा।
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