हिंदी कविता , सपना ना दे,hindi poem by Gopi

 
हिंदी कविता , सपना ना दे

हिंदी कविता ,

सपना ना दे

मुझे तु  अपना सपना ना दे,

 सपना टूटने से डरता हूं मैं ,

कहीं कोई सपना अधूरा रह जाए,

 इसलिए रातों को जगता हूं मैं ,

तेरे सपने कांच की तरह नाजुक हैं ,

संभाल लो इनको  छुपा लो इन्हे ,

 कहीं आंखों से छूट ना जाए ,

इसलिए मैं रातों को करवटें बदलता हूं मैं ,

मुझे तू अपना सपना ना दे। 

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 हिंदी कविता

तुझे  याद करता हूं ,

मैं अपना घर कैसे बर्बाद करता हूं ,

तू नहीं तेरी यादों से ,

मैं तो दीवारों से भी बात करता हूं ,

कैसे-कैसे सपने और कैसी कैसी हकीकत ,

मैं रातों को लो सा जलता हूं ,

फिर भी तेरी यादों को बात करता हूं ,

तुझे बुलाकर मैं याद करता हूं। 

खतरनाक स्टेटस शायरी ,status

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 खतरनाक स्टेटस शायरी 





लौट के ना आएंगे 
तेरे देर से चले जायेगे हम ,
फिर लोट के ना आएंगे हम ,
तुम लाख आवाज देना ,
 पर नज़र ना आएंगे हम,
चाहे तुम रो लेना ,
या हज़ार माफीया कहना ,
याद तो आएंगे पर ,
नज़र ना आयगे हम। 

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आंखों को बरसने दो

           Hindi kavita by Gopi.

 
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       आंखों को बरसने दो



     आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,

शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है ,
तेरे किस्से तेरी कहानी बहुत याद आई,
 बाहर भी सावन अंदर भी सावन यह क्या रुत आई ,
क्या बादल तेरे भी जज्बात हैं। 
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है। 
ना जिएंगे तेरे बिन जुबां पर तेरी बार-बार वही बात , 
रोकर  कहा था तूने वह घड़ी बहुत याद आई ,
मुकर भी गए तो क्या बात है,
आंखों को बरसने दो यादों से आज मुलाकात है ,
शाम उदास है मौसम में भी कुछ बात है। 

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। हिंदी की बेहतरीन कविता



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 मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

हिंदी की बेहतरीन कविता 

                                     Hindi kavita by Gopi 



मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा ,

देखना दौड़कर क्षितिज को छू आऊगा ,

 मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

कागज की नाव से सड़कों पर ,

बरसात की नदी पार कर जाऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

अभी जिंदगी के झमेले लड़ रहा हूं ,अभी अकेले ,

मैं जीत कर फिर वापस आऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा .

पतंग बना चांद पर जाऊंगा ,

पेड़ के नीचे बैठी बुढ़िया ,

उसका चरखा ले आऊंगा ,

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

एक दिन फिजा में समा जाऊंगा ,

इन्हीं पेड़ों में जल जाऊंगा,

 मैं फिर से वापस फिर आऊंगा ,

फिर से बच्चा बन जाऊंगा। 

मैं फिर से बच्चा बन जाऊंगा। हिंदी की बेहतरीन कविता



बेटी पर कविता वह रात को फिर जग गई।

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वह रात को फिर जग गई। 

बड़े ही विश्वास से, बड़ी ही आस से ,

 छोटे से हाथ से ,मेरी उंगलियों को पकड़ा ,

और मेरे गले लग गई ,फिर रात हो जग गई ,

  हर डर को हरा के , हर हार को भुलाकर ,

वो  सो गई ,रात भर सपनों में हो गई ,

मैं रात भर उसको ताकता रहा ,

रात भर मुस्कुराता रहा ,  रात भर जागता रहा ,

सपने में कभी रोई  और कभी हंस गई ,

वह फिर रात को जग गई। 




दीवाली की शुभ कामनाए ,अपने लाइफ पार्टनर के लिए



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दीवाली पर कविता 
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दीवाली की शुभ कामनाए ,अपने लाइफ पार्टनर के लिए 

यह  तारे से चमकते दिए ,  

मांग के सिंगार हैं,तेरे लिए

 यह फूटते पटाखे ,

हंसी  की फुहार हैं, तेरे लिए

दीपावली की मिठाई,

 खुशी बहार है ,तेरे लिए

 हजारों ख्वाहिशें,हजारों मंजिलें ,

दिवाली पर इंतजार में है ,तेरे लिए

 बस तू ही, तू तू ही तू ,

तो है मेरे लिए, मेरे लिए। 

दीवाली त्यौहार श्री राम जी के अयोध्या वापस आने पर मनाया जाता है जब हर अयोध्यावासी ने यही तो कहा था। 

दीवाली की कविता ,deewali,

दीवाली की कविता 

चलो राम जी का पथ  जगमगा दो ,

कुछ दिए इस पथ  पर लगा दो ,

भूल ना जाए वह घर मेरा ,

कुछ दिए  मेरे दरवाजे पर लगा दो ,

बड़ा बहुत बड़ा समय विरह का था ,

आज राम जी से समय मिलवा दो ,

शबरी सा रस, हनुमान सा भाग्य ,

मुझे भी दिलवा दो ,कुछ दिए जला दो। 


 बच्चों की दिवाली की कविता

दिवाली से सीखो ,

अंधेरे को हराना,

 दिए से सीखो ,

कर्तव्य में स्वयं जल जाना ,

मिठाई से सीखो ,

मुंह में मिठास लाना ,

बस भूल न जाना ,

दिवाली से कहना ,

तुम रोज आना ,तुम रोज आना। 


Mitti Hindi kavita मिट्टी हिंदी कविता जीवन पर शानदार कविता

 Mitti Hindi kavita 

मिट्टी हिंदी कविता 

जीवन पर शानदार कविता 

पानी में पानी सा मिल जाऊंगा ,

 मैं फिजा  में हवा सा बह  जाऊंगा,

 

kavita

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा। 

मैं शरीर नहीं कुदरत हूं... 

कुदरत सा हो जाऊंगा ... 

अभी बहुत से सपने सजे हैं, मेरे अंदर 

मेरे अंदर बहुत सी शिकायत पली है ,

चांद पाने की ख्वाहिश छिपी है मेरे अंदर ,

मेरे अंदर मै खुद ही खो जाऊंगा ... 

मैं मिट्टी में मिट्टी सा बन जाऊंगा। 






दुल्हन की आवाज

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जब भी कभी कोई भारतीय लड़की की शादी होती



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है ,तो उसको जो नियम सिखाये जाते है ,असल में वो उसकी कैद का फरमान होता है। उसे पता है कि परम्परा के नाम पर उसे अपने अंदर की लड़की को मारना होगा। उसकी आत्मा से यह आवाज आती होगी। 

क्या कोई बहु इंसान नहीं होती ,वो आसमान में उड़ नहीं सकती ?

क्या किसी लड़की को बहु बनने के लिए अपने वजूद को खत्म करना जरूरी है ?

क्या यह इंसाफ हे ?

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दुल्हन की आवाज 

मुझे पता है ,अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

मेरे अंदर की लड़की को जाना पड़ेगा। 

मुझे अब नजरें झुकानी  पड़ेंगी। 

 कोई सपना कोई वादा अब भूल जाना पड़ेगा। 

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

  कभी चंचलता जो जान थी। 

म वह गुस्सा जो  पहचान थी मेरी।

 अब उन्हें पोटली बांधकर नदी में डूबाना पड़ेगा। 

अब मुझे घुंघट उठाना पड़ेगा। 

सखी परिवार की तरह आंखों से बिछड़ते आंसू। 

इंतजार करता गली के बाहर वह लड़का। 

भूलना नहीं अब सब मिटाना पड़ेगा ,

मुझे अब घुंघट उठाना पड़ेगा। 

वक़्त वक़्त की बात 

ज़िंदगी में प्यार की रुला देने वाली कविता 

यह वक़्त वक़्त की बात है 

कभी तू साथ थी मेरे 

आज तेरी याद साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है ,

कभी बाहो में था 

आज कोई और तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

कभी चूमा था तुने गालो को मेरे 

हंस के ,शर्मा के ,घबरा के 

आज नज़रे झुका के चलते हो 

यानी मेरी यादे आज भी तेरे साथ है ,

यह वक़्त वक़्त की बात है। 

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       ज़िंदगी पर कविता 


 

                                   zindagi aisi hi hai ,

jeene nahin deti aur Marne bhi nahin deti .

ek pal nirasha ho to agale pal aas ka Tara timtima deti hai,

 Khush hote hain to dukhon ka pahad thama deti hai ,

jindagi aisi hi hai ,

tere hi niyamon per chalna Sikh liya ,

ab shikayat nahin jina Sikh liya ,

Na tu mujhe jitati Na harne deti,

jindagi aisi hi hai ,


 ashkon ko jameen per girne se pahle ,

wo  mujhe Hansa deti per jab bhi hansta Hun to fir rula deti ,

jindagi aisi hi hai



जिंदगी ऐसी ही है ,

जीने नहीं देती और मरने भी नहीं देती ,

एक पल निराशा हो तो अगले पल आस  का तारा टीम टीमा देती  है। 

खुश होते हैं तो दुखों का पहाड़ थमा देती।

जिंदगी ऐसी ही है ,

 तेरे ही नियमों पर चलना सीख लिया ,

अब शिकायत नहीं, जीना सीख लिया। 

ना तु  जीतने  देती ,ना हारने देती।

 अश्कों को जमीन पर गिरने से पहले वो  मुझे हंसा देती। 

पर जब भी हंसता हूं तो फिर रुला देती। 

जिंदगी ऐसी है जीने नहीं देती। 

जन गण मन क्या है। Jana-gana-mana,राष्ट्रीय गान

जन गण मन क्या है। 


जन गण मन हमारे देश का राष्ट्रीय गान है।  जिसे 27 दिसंबर 1911 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन कोलकाता में गाया गया। इसके रचीयता श्री रविंद्र नाथ टैगोर थे ,जिन्होंने बांग्ला में इस गीत को लिखा था और तत्कालीन बांग्ला मैगजीन में छपा था। 

समय 

इसमें कुछ बदलाव भी किया गया ,मूल रूप से यह बंगाली गान  था। शुरुआत में यह 20 सेकंड का गीत था। बाद में इसे  52 सेकंड का गीत बनाया गया। यानी हमारे राष्ट्रगान को गाने  में 52 सेकेड ही लगते हैं। 

सुनने के नियम 

यह गीत देश की पहचान है। हमें इस गीत का सम्मान करते हुए, यदि यह कहीं बज रहा है या गाया जा रहा है ,तो सावधान खड़े होना चाहिए। इस तरह हम केवल एक गीत को नहीं अपने देश को सम्मान देते हैं यह राष्ट्रीय पहचान हैं।  आप इसे जरूर गुनगुनाए, आप इस पर गर्व करेंगे। 


National Anthem

 जन गण मन लिरिक्स हिंदी में 


 जन गण मन अधिनायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता।

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,

द्राविड़ उत्कल बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,

उच्छल जलधि तरंग

तब शुभ नामे जागे,

तब शुभ आशिष मांगे

गाहे तब जय गाथा।

जन गण मन क्या है। Jana-gana-mana,राष्ट्रीय गान

जन गण मंगलदायक जय हे,

भारत भाग्य विधाता।

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे॥



Title: Jana Gana Mana


 by Rabindranath Tagore


Lyrics by: Rabindranath Tagore


Raga: Alhiya Bilawal


Written on: December 11, 1911


First sung on: December 27, 1911


Jana-gana-mana lyrics इन English 


Jana-gana-mana-adhinayaka, jaya he


Bharata-bhagya-vidhata.


Punjab-Sindh-Gujarat-Maratha 


Dravida-Utkala-Banga


Vindhya-Himachala-Yamuna-Ganga 


Uchchala-Jaladhi-taranga.


Tava shubha name jage, 


Tava shubha asisa mage, 


Gahe tava jaya gatha, 


Jana-gana-mangala-dayaka jaya he 


Bharata-bhagya-vidhata.


Jaya he, jaya he, jaya he, Jaya jaya jaya, jaya he! 


तेरी आदत हिंदी कविता




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तेरी आदत 

हिंदी कविता 

 अभी जिंदगी को तेरी जरूरत नहीं है ,

अभी मुझको तेरी आदत नहीं है ,

अभी बंद है दिल के दरवाजे सारे ,

किसी को भी आने  की इजाजत नहीं है ,

 हजारों परिंदे उड़ते हैं आसमां में ,

सबकी ख्वाइश मोहब्बत नहीं है ,

किसी एक में समा जाओ कभी तुम।,

सारी दुनिया उसी में बसी है ,

अभी जिंदगी को तेरी जरूरत नहीं है। 

कविता 

ख्वाब 


हमारे फूल  किसी और के घर महकते हैं,

 किसी के ख्वाब जमीन पर पड़े सिसकते हैं ,

अजीब रंग ,अजीब ढंग है ,जमाने का ,

तेरी चादर पर टूटे फूल भी हंसते हैं ,

ख्वाबों को मिली छत, ना मंजिल ,

मेरे ख्वाब मेरे को रातों को डसते  हैं ,

हमारे फूल  किसी और के घर महकते हैं,

 मैं क्यों फूलों की खुशबू लु ,

तेरी खुशबू के आगे सब फीके  हैं,

 मैं उस जमीन को चूमता रहता हूं,

 जिस गली से वह मेरे यार गुजरते हैं,

हमारे फूल  किसी और के घर महकते हैं। 

कभी कभी हिंदी कविता

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शायरी  

कभी कभी हम शाम को उदास हो जाते है ,ना जानते हुए भी कोई याद हमे याद आते है ,वो कोण है जो हमे याद आते है। इस पर एक छोटी से कविता आप के लिए ही ,

 

 कभी कभी 

हिंदी कविता 

कभी शाम को हम ,क्यों उदास हो जाते है ,
डूबते सूरज हमे क्यों रुलाते है ,
दिल बिना इजाजत ,किस याद को बुलाते है ,
बारिश के यह नीर ,हमे क्यों जलाते है ,
बहते हवा के झोके ,किस किसका संदेशा लाते  है ,

मुझे डुबते सुरज क्यों रुलाते है। 


kabhi kabhi

hindi kavita by Gopi.

kabhi shaam ko hum,kyo udas hojaate hai ,

dubte surej hume kyo rulate hai ,

dil bina ijajt kis yaad ko bulate hai ,

baarish ke ye neer,hume kyo jalte hai,

bahte hawa ke yeh jhoke,kis kiska sandesha late hai,

mujhe dubte surej kyo rulate hai.